गुरुवार, 11 जून 2020

Maa vindhyavasini temple vindhyachal (a Shrine priest)

https://maps.app.goo.gl/Kf3EjqqoR318x2VU8                             मॉं विंध्यवासिनी
मॉं विंध्यवासिनी एक ऐसी जागृत सिद्ध पीठ है जिसका अस्तित्व सृष्टि के प्रारंभ होने से पूर्व और प्रलय के बाद          भी रहेगा.मॉं विंध्यवासिनी का स्थान जहां विंध्य पर्वत और गंगा का संगम होता है उसी संगम पर स्थित है यहां पराम्बा भगवती के तीन रूप के दर्शन करनेेेे का सौभाग्य प्राप्त होता है त्रिकोण यंत्र पर स्थित विंध्याचल निवासिनी मॉं भगवती के तीन रूप...
01 महाकाली, 02 महालक्ष्मी, 03 महासरस्वती के रूप में
तीनों कोणों पर विराजमान है मॉं विंध्यवासिनी का वर्णन
पद्मपुराण, मार्कंडेय पुराण, दुर्गा सप्तशती, श्रीमद् भागवत
महाभारत, श्रीमद् देवी भागवत अनेकों ग्रंथों पुराणों और वेदों मेंं मिलता है  मॉं के स्थाान को सिद्ध पीठ के साथ-साथ
मणिदीप भी कहा जाता है .
                         
                   परंपरा और विशेष पूजन
मुंडन 
मॉं विंध्यवासिनी के दरबार में बड़ी संख्या में लोग अपने वंशज (संतान) का पीढ़ी दर पीढ़ी मुंडन संस्कार कराने आते हैं इनमें मनौती संकल्पों के पूर्ण होने पर संतान प्राप्ति होने पर लोग अपने संतान का मुंडन संस्कार मॉं के दरबार में आकर करते हैं मॉं के दरबार में मुंडन कराने के लिए किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती मॉं का स्थान स्वयं में सिद्ध पीठ है
परंतु किसी पर्व या विशेष मुहूर्त होने पर यहां मुंडन कराने वालों की संख्या हजारों हजार में पहुंच जाती हैं मॉं के दरबार में विशाल मुंडन स्थल बनाया गया है .

उपनयन (जनेऊ) 
मॉं विंध्यवासिनी के दरबार में बड़ी संख्या में लोग उपनयन (जनेऊ)  संस्कार भी कराने आते हैं इनमें वैसे भी लोग शामिल हैं जो अपने पुत्र वंशज का उपनयन संस्कार मॉं के दरबार में ही पीढ़ी दर पीढ़ी संपन्न कराते चले आ रहे हैं मॉं विंध्यवासिनी के दरबार में विशाल उपनयन (जनेऊ) मंडप बनाया गया है जहां यहां के तीर्थ पुरोहितों के माध्यम से जनेऊ संस्कार संपन्न होता है . अपने सिद्ध पीठ मैं भगवती के स्वयं विराजमान होने के कारण मॉं के चरणों में मुंडन, उपनयन (जनेऊ), विशेष पूजन कराने पर संतान पर मॉं की विशेष कृपा होती हैं
       
           मॉं का सिंगार और विशेष पूजन
मॉं विंध्यवासिनी भगवती का सिंगार(आरती) 24 घंटे में 4 बार होता है
सिंगार(आरती) का समय ~ पहला आरती मंगला आरती
सुबह 4 से 5 तक , दूसरी आरती राजश्री आरती दोपहर 12 से 01:30 तक , तीसरी आरती छोटी आरती शाम 07:15 से 08:15 तक,  चौथी और आखिरी आरती बड़ी आरती 09:30 से 10:30 तक इस प्रकार भगवती का सिंगार 24 घंटे में चार बार  होता है मॉं का सिंगार या विशेष पूजन कोई भी भक्त यहां के तीर्थ पुरोहितों के माध्यम से करा सकते हैं मॉं के दरबार में धार्मिक यज्ञ अनुष्ठान, मॉं का विशेष सिंगार कोई भी भक्त विशेष कामना हेतु कामना के पूर्ण होने केे बाद या यहां शुभ कार्य करने से पूर्व मॉं का सिंगार यहांं के तीर्थ पुरोहितों के माध्यम से कराया जा सकता है। 
   नोट- आप मॉं विंध्यवासिनी धाम में किसी भी शुभ कार्य के लिए या किसी जानकारी के लिए हमसे भी संपर्क कर सकते हैं में रघुवीर मिश्रा तीर्थ पुरोहित मॉं विंध्यवासिनी मंदिर मोबाइल नंबर 9044348414 या आप गूगल मैप के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं धन्यवाद.
              तंत्र मंत्र सिद्धि ऊर्जा का केंद्र मणिदीप
मॉं भगवती का स्थान सकारात्मक उर्जा का केंद्र है जिसे हम मणिदीप भी कहते हैं जहां जाने-माने महात्मा जैसे श्री श्री रविशंकर , देवरहा बाबा, नेपाली बाबा इत्यादि महात्माओं ने तपस्या की मॉं के चरणों में अलग-अलग मार्गों से जैसे चाहे वैदिक मार्ग के उपासक हो, तांत्रिक मार्ग के उपासक हों या शाबर मार्ग के उपासक हों किसी भी मार्ग के उपासक हों  मॉं के चरणों में सिद्धि प्राप्त होती है मॉं भगवती का दरबार तंंत्र मंत्र का प्रमुख केंद्र है। 
           
       मॉं विंध्यवासिनी का स्थान भौगोलिक रहस्यम

 मॉं विंध्यवासिनी मंदिर कुछ ही दूरी पर बना यह टाइम जोन  जो कि पूरे भारत देश के समय का निर्धारण केंद्र भी है यह अनोखा और रहस्यम है।  मानक समय के संबंध में यह कहानी है कि राक्षसराज रावण जिसने काल को अपने वश में कर रखा था, वह विंध्य क्षेत्र को ही पृथ्वी का केंद्र मानता था। मॉं केेे बगल में स्थित गली में विंध्य महादेव मंदिर को लंकाधिपति रावण पृथ्वी का मध्य बिंदु मानता था। उसके अनुसार मॉं विंध्यवासिनी बिंदुवासिनी थी। भौगोलिक दृष्टि से जब इस तथ्य को जांचा गया तो मॉं के मंदिर से कुछ किलोमीटर दूर विंध्य महादेव से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर है। यह स्थान मीरजापुर-इलाहाबाद मार्ग पर विंध्याचल के दक्षिणी अमरावती के पास स्थित है। यहां पर दिल्ली की संस्था स्पेस ने अपने रिसर्च के आधार पर निकाले निष्कर्ष के तहत एक बोर्ड लगवाया और वहां पर संबंधित जानकारी उपलब्ध कराई। भगवती का दरबार ऐसी बहुत से रहस्ययमय ऊर्जा से भरी है
मॉं के दरबार में भूत प्रेत से पीड़ित व्यक्ति के अंदर से नकारात्मक उर्जा निकलनेे लगती है मॉं विंध्यवासिनी के दरबार में ऐसेे पीड़ितों के लिए भी स्थान बनाया गया है।

    मॉं विंध्यवासिनी के दरबार में पहुंचने का मार्ग
मॉं विंध्यवासिनी का दरबार प्रयागराज (इलाहाबाद) से मात्र 90 किलोमीटर और वाराणसी(काशी) से मात्र 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है 
मॉं के दरबार में सड़क मार्ग से(रोडवेज) ,रेलवेे मार्ग से(विंध्याचल रेलवे स्टेशन),  हवाई मार्ग से (बाबतपुर वाराणसी एयरपोर्ट) से पहुंचा जा सकता है। विंध्याचल में प्राकृतिक सौंदर्य विंध्याचल में पहाड़ी गुफाओं, अति प्राचीन मंदिर, पहाड़ों पर स्थित तालाब, पहाड़ी झरने, मॉं गंगा स्नान नौका विहार,आश्रम इत्यादि का भी आनंद ले सकते हैं 
नोट-आप विंध्याचल आगमन हेतु किसी भी सेवा मार्गदर्शन के लिए हमसे संपर्क कर सकते हैं मेरा नाम
रघुवीर मिश्रा मैं तीर्थ पुरोहित मॉं विंध्यवासिनी मंदिर विंध्याचल मेरा मोबाइल नंबर 9044348414 .
मैं और भी धार्मिक और आध्यात्मिक जानकारी आप तक पहुंचाता रहूंगा।
                      जय मॉं विंध्यवासिनी 
                               धन्यवाद

Maa vindhyavasini temple vindhyachal (a Shrine priest)

https://maps.app.goo.gl/Kf3EjqqoR318x2VU8                              मॉं विंध्यवासिनी मॉं विंध्यवासिनी एक ऐसी जागृत सिद्ध पीठ ...